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शुक्रवार, 25 जून 2010

माफिया का मनरेगा


माफिया का मनरेगा
  •  इधर नये ई ई ने कर डाले रिकार्ड टी एस
  •  उधर पंचायतों में साढ़े सात परसेंट टैक्स का खेल

महात्मागांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना माफिया के चंगुल में है। पूर्व कार्यपालन यंत्री के लगातार इंकार से लटके काम नये छत्रप के आने से गति पकडऩे वाले है। आरईएस ने 400 से अधिक टी एस रिकार्ड समय पर कर माफिया की सक्रियता बढ़ा दी है। ग्राम पंचायतों से भारी टैक्स बचा रहा ठेका माफिया मशीनों सेकाम करा कर दोहरा लाभ कमा रहा है प्रस्तुत है एक रिपोर्ट
  महात्मागांधी क े नाम पर चल रहे रोजगार गारंटी से ग्रामीण क ितने लाभाविंत हो रहे है यह तो एक यक्षप्रश्न है पर ठेक ेदार भरपूर लाभ क मा रहे हैं जिले में जनभागीदारी से तालाब खुदाई क े बाद अब ठेक ेदार माफिया ग्रामीण यांत्रिक ी विभाग क े तहत 10 लाख से ऊपर क े क ार्यो क ी सेटिंग में लगे है वैसे भी आरईएस में राजनैतिक दखलंदाजी क े बल पर ही सारा क ार्य होता रहा है पर इस बार नेताओं ने भी नयी रणनीति बना रखी है।

तुम न मानों तो अपना है कायदा, पंचायतों में ज्यादा है फायदा

सूत्रों की माने की आरईएस के तत्कालीन ई ई विजय तिवारी द्वारा मनरेगा की स्वीकृ ति में आनाक ानी क रने पर क ार्यो क ो इस तरह बांटा गया क ि लागत 10 लाख से क म हो जाये इसक े बाद क ार्य ग्राम पंचायतों क े माध्यम से क िये गये। इससे ठेक ेदार ने दोहरा लाभ क माया उन्हें आईटी, एसडी, सीटी और रायल्टी क े रूप में टैक्स क ी बचत होती रही साथ ही गुणवत्ता क े लिए टेसंटिग रिपोर्ट क ी भी आवश्यक ता नहीं होती इससे पूरे क ार्य में लगभग 9 प्रतिशत क ी राशि ऐसे ही बच जाती है। आर ई एस क े क ार्यो में सब इंजीनियर एस डी ओ तथा ई ई क े टेबिल से फाईल गुजरती है जिनक ी अपनी अलग व्यवस्था है इसक े बाद जिला पंचायत से पैसों क ा भुगतान होता है जबक ि ग्राम पंचायत में पैसों क ा भुगतान बढ़ी आसानी से क िया जा सक ता है इसक े चलते क्षेत्र में बड़े छोटे क ई माफिया सरगना पैदा हो गये और उन्होंने जबरदस्त लाभ क माया।

इस बार क ार्यो क ा आबंटन नई प्रक ्रिया से क िया जाना है। सूत्रों क ी माने तो ठेक ेदारों क े विशेष दबाव समूह ने क ार्यो क े पर्याप्त एवं उचित बंटवारे क े लिए सभी वर्गाे क े बीच सामंजस्य बना लिया है। इसक े लिए अब तक ग्राम पंचायतों में क िये जा रहे 10 लाख से नीचे क े क ामों क ा हवाला दिया जा रहा है। ज्यादातर गांवों में ये क ाम विशेष समूह द्वारा क िया गया है इसक े लिए फर्जी मस्टररोल बनाये गये तथा क ाम मशीनों से पूरा क िया गया। जेसीबी, ट्रैक्टर और लेबलर क े खुलक र प्रयोग क िये गये इस सारे खेल क ो ग्राम क े सरंपच, पंच और रोजगार सहायक असहाय से देखते रह गये। वैसे भी संविदा से नियुक्त रोजगार सहायक ों क ा क ोई विशेष उत्तरदायित्व नहीं है न ही क ार्य क ी गुणवत्ता क े संदर्भ में उनक ी क ोई जवाबदारी ही है। ऐसे में माफिया क ा क ाम और भी आसान हो गया। उन्होंने लाभ क माया भीऔर जरूरतमंदों क ो जमक र बांटा भी।

जज के आदेश बंद तो कारिंदों के हौसले बुलंद

जैजैपुर क्षेत्र में एक माननीय न्यायाधीश के स्वविवेक से मनरेगा के भ्रष्ट्राचार पर नियंत्रण की अच्छी कोशिश हुई थी। उस समय लगभग 42 प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की गयी थी। श्रीमान के आदेश के बाद अधिकारियो के हाथ पांव फूल गये थे और कार्यवाही में जिस तेजी का प्रदर्शन हुआ उससे एक बार तो ऐसा लगा था कि शायद मनरेगा ठेकेदार और राजनीतिक माफिया के दबाव से मुक्त हो जायेगा तथा गरीब मजदूरों को उनका जायज हक मिलने लगेगा। लेकिन जैजैपुर के बाद शायद ही किसी न्यायाधीश ने इस पर कार्यवाही की कोशिश की और धीरे धीरे न्यायपालिका भी मौन हो गयी इसके बाद तो मनरेगा में जैसे भ्रष्ट्राचार का तूफान चढ़ आया। आज पूरे जिले में स्थिति चिंताजनक है।