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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

काडा नाली…….बढी कमाई काली


काडा नाली…….बढी कमाई काली
जल संसाधन विभाग के लिए काडा नाली संजीवनी बन चुका है पुराने जख्म अभी भरे नहीं कि नये बंदरबॉट से लाल हो रहे अधिकारियों को नयी पौध तैयार हो गयी है। पुराने मामले में शिकायत राज्यपाल तक को गयी जांच का आदेश हुआ तत्कालीन ई. ई. अवस्थी सस्पेंड भी हुए पर बाकियों का बाल बांका नहीं हुआ। उस समय के एस डी ओ आज ई ई है और पुराने अनुभवों का पूरा लाभ जल संसाधन के तीनों डिवीजन जांजगीर चांपा व सक्ती के अपने अधीनस्थों को पहुंचा रहे हैं
केन्द्रीय परियोजना के तहत किसानों को टेल एरिया तक पानी देने की महत्वाकांक्षी नाली निर्माण योजना भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गयी। पिछले बार पानी पंचायतों के माध्यम से छोटे और मझोले किसानों के लिए लगभग 17 करोड़ की लागत में जिले के विभिन्न विकासखण्डों में खेतों से गुजरने वाली काड़ा नाली का निर्माण किया गया था। आज मात्र दो साल बाद इनमें से एक भी नाली का अस्तित्व नहीं है। वहीं काम की कमी से जुझ रहे डिवीजनों में अभियंताओं को संजीवनी देने के लिए पुरानी योजना की शेष राशि से फिर वहीं खेल आरंभ हो गया। विभाग ने जिले के प्रत्येक विकासखण्डों में एक-एक करोड़ की स्वीकृति दे दी है और इसके पहले की आपत्ति व आरोपों का सिलसिला आरंभ हो निर्माण आरंभ कर पैसों का उपयोग दर्शाने की प्रक्रिया तीव्रतम गति से पूरी की जा रही है।
गौरतलब बात है कि पिछली बार आपत्तियों व आरोपों के चलते राज्यपाल से जांच के आदेश हुए थे।  तब तक जिले में 17 करोड़ के काम पूर्ण कर लिये गये थे। जांच की लंबी व उबाऊ प्रक्रिया में इंदोर और दिल्ली से जांच एजेंसियों के अधिकारी भी चक्कर लगा गये थे। इन सबके परिणाम स्वरूप तत्कालीन ई ई अवस्थी को सस्पेंड कर दिया गया था। आज श्री अवस्थी भी सरकारी सेवा का आनंद ले रहे हैं। वहीं इसमें शामिल एस डी ओ पदोन्नति पा प्रदेश के अन्य स्थानों पर प्रभारी ई ई की भूमिका निबाह रहे है। इनमें से किसी एक को भी इस जांच का रंच मात्र असर नहीं हुआ है। उस समय काडा नाली निर्माण से जुड़े सब इंजीनियरों में से अधिकांश ने सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण करा लिया था। वे आज भी पूरे अधिकार से सरकारी सेवा का लाभ उठा रहे हैं।
दो करोड़ की ट्रबल शूटिंग
उस समय काडा नाली निर्माण में घोटाला सबकी जुंबा पर था। इसके साथ ही ट्रबल शूटिंग शब्द भी जनता का खूब भाया। सूत्रों की माने तो इस दौरान विभागीय चाणक्यों ने दो करोड़ रूपये का फंडा सिर्फ ऐसे लोगों को देने के लिए अलग से बना रखा था जो भष्ट्राचार के बारे में शिकायत करते थे। सिर्फ शिकायतकर्ताओं के लिए 2 करोड़ देने वालों ने घोटाले की किन सीमाओं को पार किया होगा यह कल्पना से परे है सूत्रों की माने इसी दो करोउ़ का चमत्कार था कि सफेद कपड़ों पर दाग नहीं लगा और सभी अधिकारी सुरक्षित रहे।
नाली निर्माण में उस किसान की लिखित मंजूरी आवश्यक थी जिसके खेत में नाली बनानी है। इसके साथ ही किसानों से कुछ प्रतिशत नगद या मजदूरी के रूप में विभाग को वसूल करना था। इस सारी प्रक्रिया में फर्जीवाड़े से किसानों के हस्ताक्षर घर में बैठकर बनाये गये किसानों की रकम भी जमा की गयी व किसानों द्वारा मजदूरी भी दिखाई गयी, इस सारे खेल में पानी पंचायत के सदस्यों, नहर पटवारियों ने जमकर हिस्सेदारी वसूली।

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